दिल्ली S-400 मिसाइल जिसे रूस ने विकसित किया है, इस मिसाइल को रूस ने आज कल के advance लड़ाकू विमान को ध्यान मे रख कर बनाया है, आइये अब इस मिसाइल कि ताकत को समझते है।
• भारतीय सेना कि नई मारक क्षमता भारत को दुनिया के सबसे खतरनाक मिसाइल डिफेंस सिस्टम S-400 की डिलीवरी रूस ने शुरू कर दी है यह (सरफेस टू एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम) है यानी सतह से हवा में मार्ग करने वाला दुनिया का सबसे आधुनिक विध्वंशाक मिसाइल डिफेंस सिस्टम है।
• इस S-400 मिसाइल से किसी भी लड़ाकू विमान (fightert jet) को मारा गिराया जा सकता है। अगर भारत S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम को POK और LAC के पास तैनात कर देता है, तो पाकिस्तान और चीन चाह कर भी कोई हवाई हमला भारतीय सीमा के अंदर नहीं कर पाएगें अगर किसी ने हमला किया भी तो यह मिसाइल एक बार में दुश्मन देश के 32 लड़ाकू विमानों को नष्ट कर नीचे गिरा सकता है।
• स्पष्ट रूप से कहे तो भारतीय सेना को S-400 के रूप में एक ऐसी मारक क्षमता हासिल हुई है जिसका तोड़ भारत के दुश्मन देश शायद ढूंढ नहीं पायें।
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S-400 के बेमिसाल काम।
शरहद पर इस S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की तैनाती से चीन और पाकिस्तान पर क्या असर होगा। भारत दशकों से रूस से हतियार खरीदता आया है, जिनमे (मिंग 21 और सुखोई 30 MKI) फाइटर्स जेट शामिल है।
• रूस और अमेरिका हतियारो के सबसे बड़े निर्यातक है। और अमेरिका यह नहीं चाहता था कि भारत रक्षा से जुड़ी चीजें रूस से खरीदे। लेकिन भारत ने यह S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीद लिया।
आपका परिचय इस S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम से कराते हैं।
S-400 मिसाइल टारगेट का पीछा करना शुरू कर देता है अगर S-400 मिसाइल को लंच कर दिया गया तो यह 100 प्रतिशत अपने टारगेट को नष्ट करके ही दम लेती है।
• इस S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम मे कुल चार मिसाइल ट्यूब लगी रहती है। एक ट्यूब से औसतन 8 मिसाइल दागी जा सकती है यानी कि अगर चारों ट्यूब को मिला दिया जाए। तो भारत एक साथ दुश्मन देश के 32 विमान को गिरा सकता है। और यह हमला 400 किलोमीटर की रेंज के बीच हो सकता है। S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम कि मारक क्षमता 400 किलोमीटर है।
S-400 मिसाइल कि कीमत और खासियत क्या है।
भारत (India) को S-400 की कुल 5 रेजिमेंट मिलने वाली है। जिनमें कुल 5 मोबाइल कमांड सेंटर, और 10 रडार और 10 लॉन्चअर्स शामिल होंगे। अगर एक ट्यूब से चार मिसाइलें दागी जाती हैं, तो S-400 कि पाचों रेजिमेंट के आने के बाद भारत आने वाले कुछ वर्षों में ऐसी 160 मिसाइल एक साथ फायर करने में सक्षम होगा।
• अब आप समझ सकते है, कि चीन और पाकिस्तान भारत पर हवाई हमला करने कि हिम्मत जुटा नही पायेगें।
• रूस से भारत ने ये S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम कि कुल 5 रेजीमेंट 39 से 40 हजार करोड़ में खरीदा है। इस S-400 मिसाइल कि पहली तैनाती LOC पर होनी चाहिए जहाँ से चीन और पाकिस्तान जब कोई भी हरकत करे तो S-400 मिसाइल को वहाँ मौजुद होना चाहिय वक़्त आने पर यह दुश्मन को संभलने का मौका ना दे।
• S-400 मिसाइल चीन के पास भी मौजुद है, S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम को चीन ने तिब्बत और अरुणाचल प्रदेश के पास तैनात करके रखा है। हलाकि S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम को चीन ने लद्दाख में तैनात करके रखा है।
• चीन ने S-400 मिसाइल वर्ष 2018 में Russia से खरीदी थी लेकिन उस मिसाइल डिफेंस सिस्टम कि मरक् क्षमता सिर्फ 300 किलोमीटर थी। उससे ज्यादा रेंज की कोई मिसाइल रूस ने चीन को नहीं दी नहीं बेची मतलब चीन को अपनी रक्षा के लिए S-400 मिसाइल तो मिली लेकिन जो मिसाइल दी गई उनकी मरक् क्षमता अधिकतम 300 किलोमीटर तक की है।
• जबकि भारत को जो S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम मिला है। उसकी मारक क्षमता अधिकतम 400 किलोमीटर है। जिनके पास यह मिसाइल डिफेंस सिस्टम पहले से मौजुद है उसके पास 300 किलोमीटर रेन्ज वाली S-400 मिसाइल है। और भारत के पास जो S-400 मिसाइल हैं उसकी रेंज 400 किलोमीटर है।
• अमेरिका और रूस पूरी दुनिया मे हतियारो के सबसे बड़े निर्यातक मे से एक है।
• अमेरिका शुरुआत से ही नहीं चाहता था कि भारत कभी भी रक्षा से जुड़ी कोई चिज किसी मिसाइल डिफेंस सिस्टम को रूस से खरीदे। लेकिन सरहद पर शान्ति और सुरक्षा बनाने के लिए और चीन से बढ़ते तनाव को देखते हुए भारत ने रूस से इस मिसाइल डिफेंस सिस्टम को खरीद लिया।
• अमेरिका में वर्ष 2017 में एक कानून आया था कि अगर कोई देश रूस के साथ हथियारों का सौदा करता है तो उस देश को बैन कर दिया जाएगा उसपर प्रतिबंध लगा दिया जाएंगा।
• अमेरिका हथियारों के निर्यात में रूस को कमजोर करना चाहता है। यह हतियरो का जो बाजार है इसमें अमेरिका खुद सबसे बड़ा प्यदा है और वैसे ही रूस भी बहुत बड़ा हतियरो का खिलाड़ी है।
• हर देश चाहता है, कि दुनिया मे उसके देश का दबदबा बना रहे। लेकिन अभी पूरी दुनिया में हथियारों का सबसे बड़ा लगभग 37% निर्यात अमेरिका करता है, जो हथियारों का सबसे बड़ा सौदागरसौदागर है। फिर नंबर- 2 पर आता है रूस जिसकी हथियारों को बेचने की हिस्सेदारी इस समय लगभग 20% के आसपास है।