अब हर आम आदमी हवाई जहाज में सफर करना चाहता है अब हवाई जहाज मे सफर करने वालो की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। मगर क्या आपके जहन मे यह सवाल आया है कि हवाई जहाज मे किस ईंधन का उपयोग होता है। What fuel is used in aeroplanes. भारत में कौन से ईंधन का इस्तेमाल हवाई जहाज में किया जाता है हवाई जहाज में कितने प्रकार के ईंधन होते हैं आइये अब इस आर्टिकल के माध्यम से समझते है।
हवाई जहाज मे ईंधन का इस्तेमाल इंजन के प्रकार पर निर्भर होता है।
भारत में इंडियन ऑयल विमानन सेवा के प्रमुख ईंधन कंपनी है जो अंतरराष्ट्रीय और घरेलू विमान कंपनियों को जेट ईंधन की सप्लाई करती है। विमानन उद्योग में उपयोग किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के ईंधन होते हैं और किस प्रकार के ईंधन का उपयोग किया जाएगा ये विमान के इंजन के प्रकार पर निर्भर करता है।
विमानों में उनके इंजन के प्रकार आधार पर यह तय होता कि उनमें किस तरह के ईंधन का इस्तेमाल होगा वाणिज्यिक (comarcial) विमानों और लड़ाकू विमानों में उपयोग किया जाने वाला ईंधन केरोसिन पर आधारित होता है, जहां पूर्ण शुद्ध केरोसिन का उपयोग किया जाता है और इसके अलावा कुछ additives को भी मिलाया जाता है जैसे एंटीऑक्सिडेंट्स, एंटीफ्रीज़, हाइड्रोकार्बन आदि का इस्तेमाल होता है।
सामान्य विमानन में सामान्यतौर पर उपयोग किए जाने वाले दो तरह के ईंधन है - जेट ईंधन और एवीगैस होते हैं।
जेट ईंधन- का इस्तेमाल जेट इंजनों को पावर देने के लिए किया जाता है. जैसा कि नाम से पता चलता है, जेट ईंधन का मुख्य रूप से जेट इंजनों को पॉवर देने के लिए उपयोग किया जाता है, जो विमान को आगे बढ़ाने के लिए हवा के शक्तिशाली जोर पर भरोसा करते हैं।
एवीगैस - एविगैस का इस्तेमाल छोटे टर्बोप्रॉप विमानों में इंजन पिस्टन को ड्राइव करने के लिए किया जाता है यह पिस्टन ही विमान को उपर उड़ाने में प्रोपेलर्स की मदद करते हैं।
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अब जानते हैं कि इन ईंधन के बारे में…
जेट ईंधन- यह केरोसिन के आधार पर तैयार होने वाला एक रंगहीन ईंधन होता है। जो कि हाइड्रोकार्बन अणुओं से बना होता है और एक रंगहीन, तरल पेट्रोलियम डिस्टिलेट है। आमतौर पर यह जेट ईंधन एक रंगहीन या भूरे रंग का तरल होता है जेट ईंधन के भी दो प्रकार के होते हैं। इन्हें जेट ए और जेट ए1 कहा जाता है इन दोनों तरह के ईंधन के फ्रीज़िंग प्वॉइंट्स, एडिटिव्स आदि में अंतर होता है
1. जेट ए (JET A)
जेट ए- यह केरोसिन के आधार पर एक समान प्रकार का ईंधन है, यह सिर्फ USA में उपलब्ध होता है। इसमें जेट ए -1 के समान फ्लैश प्वाइंट है लेकिन उच्चतम फ्रीज पॉइंट (- 40 डिग्री सेल्सियस) है।
2. जेट ए 1 (JET A1):
जेट ए 1- टरबाइन इंजन वाले विमानों के लिए उपयुक्त ईंधन का केरोसिन ग्रेड है इसमें फ्लैश प्वाइंट न्यूनतम 38 डिग्री सेल्सियस और फ्रीज पॉइंट अधिकतम -47 डिग्री सेल्सियस है. यह USA के बाहर व्यापक रूप से उपलब्ध है भारत में भी जेट ए 1 ईंधन का उपयोग किया जाता है।
उदाहरण- के लिए: जेट ए में आमतौर पर कोई स्थिर विघटन करने वाला additive नहीं होता है, जबकि अधिकांश जेट ए -1 में होता है
एविगैस- इसे एविएशन गैसोलिन कहते हैं. इस ईंधन का इस्तेमाल पिस्टन-इंजन वाले छोटे विमानों में होता है. आमतौर पर इस तरह के विमानों का इस्तेमाल फ्लाइंग क्लब, फ्लाइट ट्रेनिंग जेट्स और प्राइवेट पायलटों द्वारा इस्तेमाल होता है. एविगैस इकलौता ऐसा विमान ईंधन है जिसमें टेट्राइथाइल लेड एडिटिव का इस्तेमाल होता है. इससे विमानों के इंजन में किसी भी तरह के विस्फोट होने या इंजन फेल्योर आदि को रोकने में मदद मिलती है. हालांकि, इंसानों के लिए यह केमिकल बेहद ख़तरनाक माना जाता है. इसी केमिकल की मात्रा के आधार पर ही एविगैस के भी दो प्रकार होते हैं।
एवीगैस Avagas- इसे एविएशन गैसोलिन कहते हैं। एवीगैस ईंधन का इस्तेमाल छोटे पिस्टन- इंजन वाले छोटे विमानों में होता है।
आमतौर पर इस तरह के विमानों का इस्तेमाल फ्लाइट ट्रेनिंग जेट्स, निजी पायलटों, विमानन प्रशिक्षण स्कूलों या फ्लाइंग क्लब द्वारा किया जाता है।
एविगैस- ईंधन इकलौता ऐसा विमान ईंधन है जिसमें टेट्राइथाइल लेड एडिटिव का इस्तेमाल होता है। इससे विमानों के इंजन में किसी भी तरह के विस्फोट होने या इंजन फेल्योर आदि को रोकने में मदद मिलती है। हालांकि, जेट-ईंधन वाले विमानों की तुलना में वर्तमान सेवा में बड़ीं संख्या में एवीगैस-ईंधन वाले विमान हैं। हालांकि, इनमें से अधिकतर छोटे, शॉर्ट-रेंज विमान होते हैं।
इंसानों के लिए यह केमिकल बेहद ख़तरनाक माना जाता है।
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