चीन और भारत मे जंग जैसे हालात, क्या होगा जब भारत चीन मे जंग होगा।

 




• पिछले 1 महीने से भारत और चीन मे तनाओ बढ़ता ही जा रहा है। और चीन लद्दाख मे कुछ बड़ी साजिश करने की फिरख मे है। वही भारत भी चीन की साजिश पर नज़र गढ़ाएं हुए है। चीन लद्दाख में घुसपैठ करके बैठा है आप सब जानते हैं और भारत ने अपनी शक्ति चीन को भी दिखाई भारत ने सीमा पर सैन्य ताकत भी बढ़ाई है। और बैक डोर डिप्लोमेसी भी चल रही है। लेकिन चीन अब तक माना नहीं है वह यह तो कह रहा है कि सीमा पर स्थिति नियंत्रण में है और दोनों देश बातचीत से मामला सुलझा लेंगे। 

• लेकिन सवाल यह है कि चीन लद्दाख से पीछे हटेगा या नहीं यस प्रश्न जो है वह आज यही है। इस मामले में भारत और चीन के बीच संयुक्त सचिव स्तर की बातचीत हुई है और अब कल दोनों देशों के मेजर जनरल ऑफिसर के बीच उच्च स्तर की बातचीत होने वाली है। यह बातचीत होगी और इस बातचीत में दोनों देशों के अधिकारी मिलकर बात करेंगे। यह मामला कितना गंभीर है इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि भारत और चीन के बीच पहले किसी सीमा विवाद में इस तरह के कुछ तरकीब से बातचीत कभी नहीं देखी गई भारत चीन मे पहले जब भी कोई विवाद होता था। सीमा पर तो दोनों देशों की सेनाएं अपने स्थानीय स्तर पर ही इस मामले को सुलझा लिया करते थे। 

• लेकिन इस बार ऐसा हो नहीं पाया बात बहुत आगे तक बढ़ गई और बातचीत के लिए सेना के कितने उच्च अधिकारियों को आना पड़ा. भारत के चौथी कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह चीन के दक्षिणी शिनजियांग प्रांत के मिलिट्री ऑफिसर से मुलाकात करेंगे।  

चौथी कोर कमांडर क्या है। 

चौथी कोर कमांडर की बहादुरी इसी बात से समझीये की चौथी कोर कमांडर कारगिल और लेह मैं तैनात थे। और सियाचिन की रखवाली भी यही कोर करती है। इस कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह लेह लद्दाख से हेलीकॉप्टर के जरिए पहुंचेंगे। यहां से सीमा पार कर चीन की तरफ बने बॉर्डर पर्सनल मीटिंग पॉइंट पर जाएंगे और चीन के सैन्य अधिकारियों से बात करेगे। 

• और हरिंदर सिंह भारत के रणनीतिक मामलों को बहुत अच्छी तरह से समझते हैं लेकिन अब बड़ा सवाल है क्या इस बातचीत से चीन मान जाएगा अगर चीन मान जाएगा तो किन शर्तों पर मनेगा और अगर यह बातचीत फेल हो गई तो फिर इसके बाद क्या होगा जंग जैसे हालात क्या हो जाएगे। क्योंकि इसमें पहला रास्ता ही है कि जिन चार से पांच जगहों पर सीधे टकराव की स्थिति बनी हुई है टकरार को खत्म किया जाए वहां से सैनिकों को हटाया जाए क्योंकि चीन ने हतियॉरो के साथ 5 से 10000 सैनिक मौजूद रखे है। 





भारत-चीन युद्ध परिणाम (भारत की lac पर क्या तैयारी हैै) 

भारत-चीन युद्ध परिणाम क्या होंगे भारत चीन को मुह तोड़ जवाब देने को तैयार है भारत भी अपनी तैयारी करने से पीछे नही है। अपनी तैयारी को लेकर के भारत ने भी 8 से 10 हजार अपने सैनिकों की तैनाती लद्दाख मे कर दी है। भारत अहिंषावादी देश है,भारत किसी से जंग नही चाहता। बल्कि भारत सरहदी मसले पर बात चित से मसले को खत्म करना चाहता है। भारत की पहली सोच यही है कि पहले की स्थिति लद्दाख मे लौटनी चाहिए यानी लद्दाख में जहां तक चीन के सैनिक आ चुके हैं वहां से उन्हें पीछे हटना चाहिए और चीन को अपनी पुरानी पोजीशन पर लौटना होगा। 

• लेकिन चीन की सोचा है कि जहां तक उनके सैनिक पहुंच चुके हैं। वही नई एलएसी बन जाय। 

• और इसको आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि चीन यह कह रहा है कि अब उसके सैनिक जहाँ तक जा चुके हैं। वहां तक नया (लाइन ऑफ एक्चुअलएक्चुअल कंट्रोल) बन जाय। 

• और इसी पर बातचीत करके वह अपनी शर्तें मनवाने पर मजबूर कर देगा। चीन ये नही जनता की भारत अब पहले जैसे भारत नही है, जो 1962 था भारत एक बार धोका खा सकता है बार बार नही। 

• चीन के अधिकारी बहुत अच्छी तरह से समझते हैं की पुराना हथकंडा मेरा है। लद्दाख सीमा पर धीरे-धीरे घुसपैठ करके नए नए इलाकों पर कब्जा कर लूंगा वही न्यू नॉर्मल बन जायेगा। 

 • पिछले 1 महीने के अंदर गलवान घाटी में चीन के सैनिक तेजी से आगे आ गए हैं आसपास की पहाड़ियों पर भी उन्होंने अधिकार जमा लिया है और इसी तरह वहाँ के कुछ इलाके में भी चीन के सैनिकों ने आगे आकर मोर्चाबंदी कर रही है। 

• चीन के सैनिक पैंगोंग झील लद्दाख में चीन के सैनिक आगे तक आ गए है। भारतीय सैनिकों के साथ उनका टकराव भी हुआ भारत का इलाका (ढाबा डूंगरी) तक है जहां भारतीय सैनिक पेट्रोलिंग के लिए जाते थे लेकिन अब इस इलाके में चीन की घुसपैठ हो गई है इस समय भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने है। बातचीत में भारत चीन को कहेगा कि चीन हर हालत में फिंगरपोस्ट से पीछे जाए भारत चीन से उन बख्तरबंद गाड़ियों को भी पीछे ले जाने के लिए कहेगा जिन्हें चीन अप्रैल और मई में आगे लेकर आया था। अब चीन भारत की पहली शर्त को कितना मानेगा यह बहुत बड़ा सवाल है। 



• भारत चीन से चाहता है की अब लद्दाख मे हो रहे इंफ्रास्ट्रक्चर के काम मे चीन बाधा ना डाले दूसरी बात होगी कि सीमा पर सड़क और पुल बनाने पेट्रोलिंग करने में रुकावट नहीं डालें। क्योंकि अपने इलाके के अंदर सड़क और पुल बनाने से भारत को कोई रोक नहीं सकता है। क्योंकि मौजूदा टकराव हो रहा है। और यही चीन को पसंद नहीं आया इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करती है लेकिन भारत हर हाल में सुनिश्चित करना चाहेगा कि चीन अपनी पुरानी स्थिति में जाए। 

• अब भारत ने चीन को जवाब देने के लिए लद्दाख में अपनी पूरी तैयारी कर ली है। लेकिन हम चाहते हैं कि लड़ाई की नौबत ना आए बातचीत से मामला सुलझ जाय_



।।जय हिन्द।।  

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Mai harsh sahu

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